आजकल कालसर्प और ज्योतिष शास्त्र के बारे में अनेक भली-बुरी बाते समाज में फैली हुई है। इसके जिम्मेदार है खुद यजमान तथा जातक. इसका कारण है यजमान को खुद के उपर विश्वास न होना। आजकल हरएक को आगे जाने की तथा प्रगती की चाह है। वह दुसरो से आगे जाने की इर्षा में जिंदगी की दौड में आगे भागता है। इस भागदौड में वह काफी थक जाता है। परंतु इस थकान का कारण है ज्योतिष शास्त्र का आधा-अधुरा ज्ञान। ऐसे अधा-अधुरा ज्ञान रखनेवाले यजमानों को निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण जानकारी तथा सुचना -
१) ज्योतिष का सही अर्थ क्या है? ज्योतिष का वास्तविक अर्थ और जानकारी लोगोंको बिलकुलही मालूम नही रहती। इसीलिए पहले ज्योतिष का अर्थ समझना अत्यावश्यक है। ज्योति और ईष इन्हीं दो शब्दोंसे ज्योतिष शब्द निर्माण हुआ है। ज्योति मतलब प्रकाश और ईष मतलब ईश्वरी संकेत. ज्योतिष का मतलब है किसी परेशानी तथा कठनाईयोंका स्पष्टीकरण करनेवाली पध्दत। (उदाहरणार्थ सोनोग्राफी, एक्स-रे, सिटी स्कॅन से हमारे शरीर में रहनेवाली कठानाईंया/व्यंग दिखाती है उसी प्रकार ज्योतिष यजमान के आयुष्य में हो रही कठनाईंयोंका निदान करता है।)
२) जैसे बीमार होने पर डाक्टर उपाय बताते है उसी प्रकार ज्योतिषी भी उपाय सुझाते है। ज्योतिष शास्त्र में तीन प्रकार से उपचार किये जाते है -
अ) दैवी आराधना वा उपासना, धार्मिक विधी वगैरे, ब) जाप व ताप, क) रत्न-पत्थर और मंत्र
(रत्न-पत्थर और यंत्र का असर काफी देरी से दिखाई देता है। आजकल टिव्ही तथा वर्तमान विज्ञानो द्वारा सामान्य जनता को फसाया जाता है। दुर्दैव यह है की सामान्य जनता इसकी शिकार हो जाती है।)
३) इस जगत में केवल भगवान और सच्चा गुरुही अपका भाग्य बदल सकते है। आजकल टिव्हीपर १००% भाग्य बदल देने के दावे किये जाते है जो जादातर झुठेही होते है। ऐसे दावा करनेवाले व्यक्ती शहरों-गावों में भटकते रहते है। जिनका खुदका ठिकाना नहीं, जिनके ज्योतिष ज्ञान के बारे में हमे पता नही ऐसे लोगोपर कितना भरोसा किया जाये ये हरएक व्यक्तीने अपने सोच के अनुसार सोचना चाहिए। जिनकी दुकान एक जगह पर चलती नहीं है वही गांव-गांव भटकते फिरते है। ऐसे लोगोंको पुछना चाहिए की आपकेही भाग्य में ऐसे भटकने का योग क्यों है? क्यों के एक बार किसीसे फसाया जाने के बाद में चिल्लाने का कोई मतलब नहीं है। पानी और सोना कभी मनुष्य के पास नहीं आता उलटा हमेंही उनके पास जाना पडता है।
४) नियम यें है की बाजार से खरीदारी करते वक्त हम अपनी बुध्दी का उपयोग करके खरीदारी करते है ताकी हमें कोई फसा न सके। परंतु धार्मिक तथा ज्योतिष के विषय में अपनी बुध्दी का इस्तमाल न करते हुए लोग ज्योतिष तथा धार्मिक कांडो में फस जाते है।
५) हरएक ब्राम्हण या पंडित को ज्योतिष समजता है ऐसी एक गलत फैमी है। उदाहरण अगर आपको १०० पंडीत पत्रिका देखनेवाले मिल जाय तो उनमेंसे ६० लोगोंको थोडीबहुत जानकारी होती है। ३० लोगोंको जरा ज्यादा जानकारी होती है। तथा केवल १० लोगोंको बहुत ज्यादा जानकारी होती है। ( हमारे अनुसार ये ६० लोग कंपाऊंडर, ३० लोग एमबीबीएस डाक्टर और बचे १० लोग एमडी या एमएस होते है) पितल और सोना दोनो का रंग पिलाही होता है परंतु ज्ञानी को ही उन दोनों मे जो फरक है वह नजर आता है।
६) जिन्हें हम कंपाऊंडर कहते वही लोग शादी तय करते वक्त जन्मकुंडलीमें कई तरह के दोष निकालते है जसे मंगलीक, नाडी दोष, गुण दोष, ४,८,१२ ग्रहस्थानो में गुरुबल इत्यादी दोष निकालकर सामान्य लोगोंको परेशान करते है। यह सब लोग यह सब भोंदूबाजी कैसे सहेन कर जाते है यही हमारे सामने बडा प्रश्न चिन्ह है। डाक्टर की गलत इलाजों की वजहो से रोगी की जान जा सकती है उसी नियमानुसार ज्योतिष्य जगत का भी यही अनुभव है।
७) इस संसार में कोई भी १००% भविष्य बता नही सकता यही पहला नियम है। जसे सदह्रुदयी डाक्टर अनेक मरीज को बचाने के लिए जीजान लगा देता है उसी प्रकार असली ज्योतिषी अपने अनुभव, तर्क और दैवी उपासना द्वारा जातक के प्रश्न के उत्तर (उपाय़) के नजदीक जाने का प्रयत्न करता है। किसी की जन्मपत्री देखते वक्त मुख्य दो चीजे देखी जाती है -
अ) कोई घटना घटने वाली है की नहीं यह पहले देखा जाता है।
ब) अगर घटना घडनेवाली है तो कब और कहा घटेगी यह देखा जाता है।
श्री. स्वामी विवेकानंद के अनुसार अती-आर्थिक संकट समयी तथा ८०% प्रयत्न करके की यश ना पा सके तो ही भविष्य देखना चाहिए।